नजीबाबाद से सपना वर्मा की रिपोर्ट
नजीबाबाद। राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर हिंदी विषय मे यूजीसी नेट उत्तीर्ण शिक्षिका पायल अग्रवाल ने सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। हिंदी दिवस के अवसर पर शिक्षिका पायल अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि हिंदी भारत की पहचान है और गौरव भी। हिंदी के प्रति अपना प्रेम और सम्मान प्रकट करना हर भारतीय का कर्तव्य है। हमे आज के दिन हिंदी का प्रचार-प्रसार और हिंदी भाषा में गठित साहित्य को सम्मानित करने का प्रयास करना चाहिए। हिंदी है पहचान हमारी, आन बान और शान हमारी।
इसकी आन न मिटने देंगे, नित-नित इसको गौरव देंगे। अक्सर लोग असमंजस में होते हैं कि हिंदी दिवस की सही तारीख क्या है दरअसल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाते हैं और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाते हैं। दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रचार – प्रसार करना ही है लेकिन दोनों में एक बड़ा अंतर भौगोलिक स्तर पर है। वहीं दोनों की स्थापना दिवस को लेकर भी कुछ अंतर है। राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत में हिंदी को आधिकारिक दर्जा मिलने की खुशी में मनाते हैं, वहीं विश्व हिंदी दिवस दुनिया में हिंदी को सम्मान दिलाने के प्रयास के लिए मनाया जाता है।भारत में हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत आजादी के तुरंत बाद हुई। 14 सितंबर 1946 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा स्वीकार किया। साल 1949 में संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने संसद में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाने का एलान किया। 26 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। आधिकारिक तौर पर पहला राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था। पहला हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1974 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित हुआ था। यह सम्मेलन विश्व स्तर का था, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस सम्मेलन का उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना था। तब से विश्व हिंदी दिवस इसी तारीख यानी 10 जनवरी को मनाया जाने लगा। बाद में यूरोपीय देश नार्वे के भारतीय दूतावास ने पहली बार विश्व हिंदी दिवस मनाया था। हिंदी, भारत की राष्ट्रीय भाषा है और हमारे देश की विविधता का प्रतीक है। यह भाषा हमारे समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। हमारी निजी संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, हर्ष, उल्लास, दर्द और व्यथा की मूल चेतना की वास्तविक अभिव्यक्ति निजी भाषा में ही संभव हो सकती है। इसीलिए भाषा हमारी अस्मिता की पहचान होती है। राष्ट्रीय एकता अखंडता के प्रतीक स्वरूप राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रगीत संविधान और निश्चित भू-भाग अपरिहार्य होता है, ठीक उसी प्रकार राष्ट्र के वैविध्य को भावनात्मक एकता के सूत्र में बांधने के लिए एक राष्ट्रभाषा की आवश्यकता होती है, जो व्यापक स्तर पर बोलने, सुनने, समझने, लिखने, पढ़ने और राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय संपर्क, राजकीय कामकाज तथा विभिन्न भाषा, भाषियों के मध्य विचारों के आदान-प्रदान की युक्ति मात्र ही नहीं होती वरन राष्ट्र की सामासिक संस्कृति, राष्ट्रीय स्वाभिमान और आत्म गौरव की भावना भी सृजित करती है। निःसंदेह इस पृष्ठभूमि में सदियों से हिंदी राष्ट्र भाषा के गौरव के लिए सर्वथा उपयुक्त रही है।