विश्वामित्र की तपोस्थली है बिजनौर (सत्पुरुष बाबा फुल संदा वाले)

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नजीबाबाद से सपना वर्मा की रिपोर्ट✍️

सत्पुरुष बाबा फुलसन्दे वालो ने बिजनौर के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा की मंडावर के समीप ग्राम मोहंडिया में विश्वामित्र का आश्रम था आज यहाँ पहुंचकर अपने अनुयायियों के साथ वेद मंत्रों का पाठ किया। और प्राचीन ऋषि विश्वामित्र को याद किया ॐ भुर्व भव स्व: इस मंत्र के रचयिता विश्वामित्र है। विश्वामित्र के पिता का नाम गाधि था राजा दशरथ से उन्होंने राम और लक्ष्मण को अपने साथ लिया और जो लोग यज्ञ में बाधा डालते थे उनका अन्त किया। विश्वामित्र की तप और प्रशिद्दी से खिन्न होकर देवराज इंद्र ने मेनका नाम की अप्सरा विश्वामित्र के पास भेजकर उनका तप भंग किया और उनकी एक पुत्री शकुन्तला हुई जिनसे एक पुत्र भरत पैदा हुए शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत भी है उनके पिता का नाम हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत हुए है भरत का लालन पालन कण्व ऋषि के आश्रम सुवाहेड़ी मे हुआ है। बाबा फुलसन्दे वालो ने ब्रम्ह ऋषि विश्वामित्र की आत्मा को उनकी तपोस्थली पर पहुंचकर उन्हें पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया। विश्वामित्र की प्राचीन स्थली का नाम आज मेनका ताल है यहाँ विश्वामित्र के शिष्य वेदों का अध्ययन और परमात्मा की आराधना करते थे। प्राचीन ऋषियों के देवयान मार्ग पर हमें चलना चलना चाहिये और इतिहास से हमे सीख लेनी चाहिए। विश्वमित्र की तपोस्थली की देखभाल हरस्वरूप जी करते है। इस अवसर पर ग्राम मोहंडिया निवासी राजीव चौधरी, धनपति देवता, राहुल देवता, दानी जी, डॉ वी के त्यागी आदि उपस्थित रहे।

वेब पोर्टल चैनल इन चीफ विनोद शर्मा

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