लाला प्यारेलाल सरस्वती शिशु मंदिर में महाराणा प्रताप जयन्ती मनाई गई

0

बहादुर शाह जफर की रिपोर्ट✍️

लाला प्यारे लाल सरस्वती शिशु मंदिर चान्दपुर में त्याग, स्वाभिमान, अप्रतिम शौर्य व पराक्रम के प्रतीक, मातृभूमि एवं धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सिसौदिया कुलभूषण वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी की 483वीं जयन्ती का कार्यक्रम हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मा० चमन सिंह (पूर्व शिक्षक) एवं प्रधानाचार्य सतेन्द्र सिंह तथा जयन्ती प्रभारी राजेन्द्र कुमार शर्मा ने वीर शिरोमाणि महाराणा प्रताप को श्रद्धा सुमन अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। बहन कृतिका पाराशर, अगम्या भारद्वाज, कनिका भारद्वाज, छवि शर्मा, ख्याति त्यागी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। मुख्य अतिथि मा० चमन सिंह, राजेन्द्र कुमार शर्मा, विकास कुमार त्यागी, सुभाषचन्द्र आदि वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि महाराणा प्रताप अपने पिता की तरह ही वीर पराक्रमी, अदभुत साहसी एवं सच्चे देश भक्त थे। 9 मई सन् 1540 को कुम्भगढ़ (राजस्थान) में माता जयन्ती बाई के गर्भ से जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम महाराणा उदयसिंह था। इन्होंने मेवाड़ राज्य की रक्षा के लिए अपने प्राण देना स्वीकार किया लेकिन अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। प्रधानाचार्य संतेन्द्र सिंह ने बताया कि महाराणा प्रताप ने मेवाड़ राज्य को स्वतन्त्र कराने तक पलंग पर न सोना, सोने चाँदी के बर्तनों में भोजन न खाने की शपथ ली और उसे निभाया। हमें भी इनके समान देशभक्त, साहसी, वीर पराक्रमी बनने का प्रयास करना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन राम बहादुर शर्मा ने किया। अन्त में मुख्य अतिथि मा० चमन सिंह के सौजन्य से भैया- बहनों को प्रसाद भी वितरित किया गया।

वेब पोर्टल चैनल इन चीफ विनोद शर्मा

Leave A Reply