व्यापारी को कानून का पालन करने वाली मशीन बना दिया गया है (अरुण कुमार वर्मा)

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स्योहारा से संजय शर्मा की रिपोर्ट

स्योहारा:- उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश उपाध्यक्ष अरुण वर्मा ने जीएसटी में हो रही खामियों के बारे में विस्तार से बताया उन्होंने बताया कि
बीते 4 वर्षों में जीएसटी में करीब 950 संशोधन लाए गए हैं। कोई भी संशोधन लाने से पहले व्यापारियों से कोई बातचीत नहीं की और न ही जीएसटी को लेकर व्यापारियों की परेशानियों को जानने का कोई प्रयास ही किया । प्रत्येक दिन एक नया प्रावधान लागू कर दिया जाता है। जिसका पालन करना व्यापारियों के लिए बेहद मुश्किल भरा है। व्यापारी को अनेक प्रकार के क़ानून का पालन करने वाली मशीन बना दिया है। वर्तमान में जो जीएसटी का स्वरुप है, यदि उसके विरोध में आज आवाज नहीं उठाई तो अब व्यापार करना बेहद मुश्किल हो जाएगा । इसलिए जीएसटी के कुछ वर्तमान प्रावधानों को जानना और समझना बेहद जरूरी है।

अगर आपने जीएसटीआर -1 में अपनी लायबिलिटी दिखा दी और जीएसटीआर -3 बी में उसको नहीं लिया तो डिपार्टमेंट बिना नोटिस दिए डिफरेंस अमाउंट की वसूली कर सकता है ।
अगर आप जीएसटीआर-3 बी दो महीने का फाइल नहीं करते हैं तो आप जीएसटीआर -1 फाइल नहीं कर पाएंगे और अगर जीएसटीआर -1 फाइल नहीं कर पाएंगे तो आपको इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा ।अगर आप 2 महीने का जीएसटीआर-3 बी फाइल नहीं करते हैं। तो आप ई व बिल नहीं जनरेट कर पाएंगे। अरुण वर्मा ने आगे बताया कि अगर आप किसी भी कारण से रिटर्न फ़ाइल नहीं कर पाते हैं। तो डिपार्टमेंट सेक्शन 73 के अंदर आप को नोटिस दे सकता है उसमें आपसे जुर्माना लेगा ।अगर आपके जीएसटीआर -1 और जीएसटीआर 3 बी में डिफरेंस पाया जाता है तो डिपार्टमेंट बिना नोटिस या सुनवाई के आपका जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड कर सकता है। उसी तरह यदि अगर आपके जीएसटीआर-3 बी और जीएसटीआर-2 में अधिक डिफरेंस पाया जाए तो भी आपका नंबर सस्पेंड किया जा सकता है।
ई वे बिल की वैलिडिटी प्रतिदिन 200 किलोमीटर कर दी गई है जो की संभव नहीं है।
ई वे बिल में अगर कुछ भी गलती हो तो टैक्स के अमाउंट का 200% पेनल्टी के रूप में जमा करना पड़ेगा। वर्मा ने आगे बताया कि
100 करोड़ से ऊपर टर्नओवर वालों को ई -इनवॉइस मैंडेटरी हो गया है अगर वह इनवॉइस नहीं इशू करते तो आपको उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा। यदि आपने गलती से कोई गलत इनपुट क्रेडिट ले लिया है तो आपका बैंक खाता सीज हो जाएगा यदि किसी गलती से आपने अधिक इनपुट क्रेडिट ले लिया है। तो आपके लिए पोर्टल लॉक हो जाएगा ।अधिकारी अपने खुद के विवेक के आधार पर किसी का भी सर्वे या ऑडिट कर सकते हैं । एक ही प्रोडक्ट का क्लासिफिकेशन अलग-अलग राज्य में एडवांस रूलिंग के तहत अलग-अलग किया जा रहा है। इसके लिए नेशनल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी अभी तक गठन नहीं की गई है। जिसकी वजह से बहुत परेशानी हो रही है। सरकार खुद अपने हिटलर शाही फरमान से तो 950 संशोधन कर चुकी है । परंतु 4 साल बीत जाने पर भी अभी तक
अपीलेट ट्रिब्यूनल गठित नहीं हुआ है। जिसकी वजह से छोटे व्यापारियों को आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है। जीएसटी के कुछ ऑफिसर देश भर में व्यापारियों को बुरी तरह से प्रताड़ित करते हैं और बिना सुनवाई के व्यापारियों से जबरदस्ती विभाग में ढेर पैसा भरवाते हैं। अरुण वर्मा ने आगे बताया कि जीएसटी कंप्लायंस से संबंधित कोई भी बदलाव लाया जाता है तो व्यापार को अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव का समय नहीं दिया जाता ना ही उसे बदलने समझने का मौका दिया जाता है। जिसकी वजह से व्यापारी काम धंधा छोड़ कर जीएसटी के बदलावों को समझने में ही समय गंवाता रहता है और लेट होने पर विलंब शुल्क जमा करना पड़ता जब तक जीएसटीआर – 3 बी ना भरा जाए तब तक ब्याज लगता रहता है चाहे क्रेडिट और कैश लेजर में बैलेंस हो तो भी।
ऐसे और कई अनेक प्रावधान हैं जिनका पालन करना लोहे के चने चबाना जैसा होता है व्यापारियों को बीजेपी की सरकार से बहुत उम्मीद थी परंतु उन्होंने व्यापारियों का शोषण करने के अलावा और कोई काम नहीं किया।

वेब पोर्टल चैनल इन चीफ विनोद शर्मा

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